कंक्रीट के जंगलों में, स्व केंद्रित, यंत्रवत जीवन बिताते मानवों के बीच रहते हुए भी, यदि इन कविताओं को आप पढ़ेंगे तो आप स्वयं को प्रकृति की उसी विराट, अनुपम, उदार गोद में बैठे नन्हे शिशु सा आल्हादित महसूस करने लगेंगे।
एक ओर प्रकृति के प्रति हमारे द्वारा किए अन्याय व उसके परिणाम का एहसास आपको होगा तो भविष्य के प्रति आशा का संचार भी।
अत्यंत सुकोमल, मर्मस्पर्शी, उपमाओं का प्रयोग कदम-कदम पर आपके मन को रोमांचित कर आनंद से सराबोर कर देगा।