Maa Ki Loriyan Aur Sanskar Geet: MAA KI LORIYAN AUR SANSKAR GEET: The Melodious Songs of Motherhood and Tradition”

· Prabhat Prakashan
4.8
5 reviews
Ebook
232
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About this ebook

लोकगीत भारतीय संगीत की आत्मा है। हमारी संस्कृति की अनूठी धरोहर है। यह शाश्वत सत्य है कि लोकगीतों में मानवीय जीवन की वह संवेदना है; जिससे हर हृदय की लडि़याँ जुड़ी हुई हैं। लोकगीतों में अतल सागर जैसी गहराई है। हर ऋतु; हर उत्सव; हर उमंग और हर रंग में गाए जाने वाले लोकगीत सहज ही हर मनुष्य को अपनी ओर आकृष्ट कर लेते हैं।
विभिन्न आंचलिक भाषाओं; बोेलियों की लोरियों और संस्कार गीतों के संग्रह करने में उसके मूल भाव और उसकी आत्मा को हूबहू प्रस्तुत किया गया है। यों भी कह सकते हैं कि ये लोरियाँ जहाँ असंख्य माताओं की भावाभिव्यक्तियाँ हैं; वहीं संस्कार गीत मनुष्य की वे परछाइयाँ हैं; जो मनुष्य की उत्पत्ति के समय से ही किसी-न-किसी रूप में संग चली आ रही हैं। हमें पहला संस्कार माँ की लोरियों से मिलता है। माँ के वात्सल्य भरे हृदय में स्वत: उपजी लोरियाँ न केवल पारिवारिक सदस्यों व नातेदारों से परिचय कराती हैं; बल्कि वनस्पतियों; नदियों; पहाड़ों; जीव-जंतुओं एवं संपूर्ण ब्रह्मांड से अपने रिश्ते को भी दरशाती हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में वात्सल्य रस में पगी मीठी-मीठी लोरियाँ और संस्कार गीत समाहित हैं; जो हर आयु वर्ग के पाठकों को पसंद आएँगे।

Ratings and reviews

4.8
5 reviews
Akhilesh Chitranshi
April 21, 2016
Full of emotions
5 people found this review helpful
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Jagtar Singh
October 12, 2019
❤🧡🕉
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A Google user
February 16, 2018
Tejas
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About the author

जन्म : बंडिल, वर्दमान (प. बंगाल)। शिक्षा : पी-एच.डी., एम.ए.एम.सी., पी.जी.डी.जे.। प्रकाशन : ‘सागरमाथा’, ‘काल कपाल’ (उपन्यास), ‘टूटते दायरे’, ‘जिस्मों में कैद दास्तानें’, ‘एक और उमराव’ (कहानी-संग्रह), ‘सूर्य का निर्वासन’, ‘पैरों के गुमनाम निशान’, ‘अपने ही शहर में’, ‘चाँद पर आवास’, ‘कागज के रथ’ (कविता-संग्रह), ‘बलि’ (नाटक), ‘हिंदी पत्रकारिता और डॉ. धर्मवीर भारती’ (शोध-प्रबंध), ‘महान् गणितज्ञ एवं खगोलविद् आर्यभट’, ‘भास्कराचार्य’ (विज्ञान), ‘समकालीन रंगमंच’, ‘नाट्यशास्त्र और रंगमंच’, ‘नाद-निनाद’ (कला-संस्कृति), ‘रंगमंच की प्रसिद्ध विभूतियाँ’, ‘अक्षरों के सितारों की बातें’ (साक्षात्कार), ‘भारत में हिंदी पत्रकारिता’, ‘हिंदी पत्रकारिता के विविध आयाम’, ‘एड्स : समाज और मीडिया’ (पत्रकारिता), ‘नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास’, ‘भगवान् बुद्ध और बिहार’ (इतिहास), ‘बिहार की सांस्कृतिक यात्रा’, ‘बिहार के सौ रत्न’ (बिहार सरकार द्वारा प्रकाशित, लेखन सहयोग)। पुरस्कार-सम्मान : बिहार कलाश्री पुरस्कार, बिहार हिंदी ग्रंथ अकादमी से पुरस्कृत, नूर फातिमा मेमोरियल अवार्ड, डॉ. चतुर्भुज पत्रकारिता पुरस्कार, साहित्य सम्मान, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राजकीय कला पुरस्कार। संप्रति : दैनिक जागरण, पटना में वरिष्ठ पत्रकार एवं पटना विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में विजिटिंग प्राध्यापक।

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