भटियाली (Hindi Sahitya): Bhatiyali (Hindi Novel)

· Bhartiya Sahitya Inc.
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 पता नही कितनी देर तक वह यों ही मन ही मन बड़बड़ाता रहा, पर चित्रा के भूत से मुक्ति न मिली। एक दोस्त की मेज़ के पास खड़े होकर चाय की प्याली मुँह से लगाये-लगाये उसने एक उड़ती हुई नज़र चारों तरफ़ डाली–चित्रा का कहीं पता न था। आख़िर हारकर वह एक मेज़ पर बैठ गया, और उसी दम गोपाल बैनर्जी ने बंगाल के माँझियों के गीत शुरू किये। एक के बाद एक उसने चार भटियाली गीत सुनाये और हवा में गोया पानी लहरें मारने लगा, पाल उड़ने लगे, पानी काटते हुए चप्पू छपछप करने लगे, सूरज क्षितिज पर डूबने लगा, सुधियों का चंदन बिखरने लगा, चाँद नील महासागर में अकेले अपनी नाव खेने लगा, प्यारी के भौंरे जैसे काले केशों से बकुल की गंध आने लगी, आँगन का केले का गाछ हरा हो गया, मन पिघलने लगा, निर्जन कगार अरर अरर ढहने लगे...

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Vinita Prakash
February 25, 2020
सुंदर शिक्षा
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About the author

अमृत राय

जन्म- 1921, वाराणसी, उत्तर प्रदेश;

मृत्यु- 1996

उपन्यासकार, निबन्धकार, समीक्षक, अनुवादक थे। अमृत राय प्रेमचंद के छोटे बेटे हैं। पिता की तरह मूलतः कहानीकार व उपन्यासकार। श्रेष्ठ अनुवादक व जीवनीकार के रूप में भी ख्याति। व्यंग्यकार और समालोचक भी। प्रेमचंद की जीवनी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। नाट्य-लेखन में भी सक्रिय रहे। अंग्रेजी, बंगला और हिन्दी पर समान अधिकार।इनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। ये प्रगतिशील साहित्यकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

अमृत राय प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद के पुत्र थे। अमृतराय जी का विवाह सुभद्रा कुमारी चौहान जी की बेटी सुधा चौहान से हुआ था। इनकी पत्नी सुधा ने सुभद्रा कुमारी चौहान तथा अपने पिता लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी लिखी-' मिला तेज से तेज'


सम्पादक : प्रेमचंद की बिखरी रचनाओं के संपादन के अतिरिक्त आपने 'हंस' का संपादन अपने ही अंदाज़ में किया। यह 'हंस' और 'नई कहानी' के सम्पादक रहे हैं।

कृतियाँ : 'साहित्य में संयुक्त मोर्चा', 'सुबह का रंग', 'लाल धरती', 'नई समीक्षा', 'नागफनी का देश', 'हाथी के दांत', 'अग्निशिखा', 'फांसी के तख्ते से', 'कस्बे का एक दिन', 'गीली मिट्टी', 'कठघरे', 'जंगले', 'सहचिंतन', 'भटियाली', 'आधुनिक भावबोध की संज्ञा', 'बतरस', 'चतुरंग', 'सारंग' और 'धुआं'।

'प्रेमचन्द', 'कलम का सिपाही'( जीवनी), 'बीज' (उपन्यास), 'तिरंगा कफ़न' (कहानी-संग्रह)

अनुवाद : 'स्पार्टाकस' का अनुवाद 'आदिविद्रोही', 'हैमलेट' का, 'समरगाथा'।

पुरस्कार : अमृतराय जी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।

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