नवविवाहित यौवनाएंँ जब सोलह शृंगार में सजकर प्रीतम के सम्मुख आतीं हैं तब अपने रूप- लावण्य से उन्हें मंत्रमुग्ध कर लेती हैं वैसे ही काव्य संग्रह 'सोलह शृंगार' की कविताएंँ विभिन्न भावों, विचारों यथा ईश-वंदना, प्रकृति-प्रेम, जीवन-दर्शन, हास्य-व्यंग से पूर्ण कवि की कल्पना एवं अनुभव का सम्मिश्रित शब्दरूप हैं जो पाठक को मंत्रमुग्ध कर लेती हैं.....