इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है भय और भय का दुश्मन है साहस। आप अच्छी तरह जानते हैं कि दुश्मन का दुश्मन हमारा दोस्त होता है। इस लिहाज से साहस हमारा दोस्त हुआ और यह दोस्त इंसान के भीतर छिपे भय नामक दुश्मन का नाश करता है। भय, इंसान को पुरानी राहों पर चलने के लिए मज़बूर करता है। नई राह पर चलकर कुछ कर गुज़रने के जज़्बात को दबाता है। जबकि साहस इंसान की रग-रग में ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार करता है।
प्रस्तुत पुस्तक में जिगरबाज़ सिंदबाद जहाज़ी की सात यात्राओं के ज़रिए साहस के गुणों को विकसित करने का फॉर्मुला दिया गया है। सिंदबाद के जोश, होश और अव्यक्तिगत सोच ने सिद्ध कर दिया कि डर नाम की कोई चीज़ नहीं। सिंदबाद की कहानी आपको सिखाएगी -
* पुरानी आदतों व सोच का विसर्जन करना
* सत्राह पर चलते हुए मस्तिष्क में नए रास्तों (सोच) का निर्माण करना
* अंतर्मन के साथ नया एग्रीमेंट बनाना
* अपनी मौलिकता को जानना
* एकाग्रता का प्रशिक्षण पाना
* कोर थॉट में परिवर्तन लाना
* समय, क्षेत्र और व्यक्तिगत सत्य से परे कायम सत्य को पहचानना।
तो चलिए, डर किस बात का है, पहला पन्ना खोलते हैं...!
भय का दुश्मन है आपका दोस्त
इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन है भय और भय का दुश्मन है साहस। आप अच्छी तरह जानते हैं कि दुश्मन का दुश्मन हमारा दोस्त होता है। इस लिहाज से साहस हमारा दोस्त हुआ और यह दोस्त इंसान के भीतर छिपे भय नामक दुश्मन का नाश करता है। भय, इंसान को पुरानी राहों पर चलने के लिए मज़बूर करता है। नई राह पर चलकर कुछ कर गुज़रने के जज़्बात को दबाता है। जबकि साहस इंसान की रग-रग में ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार करता है।
प्रस्तुत पुस्तक में जिगरबाज़ सिंदबाद जहाज़ी की सात यात्राओं के ज़रिए साहस के गुणों को विकसित करने का फॉर्मुला दिया गया है। सिंदबाद के जोश, होश और अव्यक्तिगत सोच ने सिद्ध कर दिया कि डर नाम की कोई चीज़ नहीं। सिंदबाद की कहानी आपको सिखाएगी -
* पुरानी आदतों व सोच का विसर्जन करना
* सत्राह पर चलते हुए मस्तिष्क में नए रास्तों (सोच) का निर्माण करना
* अंतर्मन के साथ नया एग्रीमेंट बनाना
* अपनी मौलिकता को जानना
* एकाग्रता का प्रशिक्षण पाना
* कोर थॉट में परिवर्तन लाना
* समय, क्षेत्र और व्यक्तिगत सत्य से परे कायम सत्य को पहचानना।
तो चलिए, डर किस बात का है, पहला पन्ना खोलते हैं...!