अपने आइने में (Hindi Sahitya): Apne Aaine Men(Hindi Stories)

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· Bhartiya Sahitya Inc.
३.३
३ परीक्षण
ई-पुस्तक
245
पेज
पात्र

या ई-पुस्तकाविषयी

 विभिन्न समय में विभिन्न कारणों से इच्छा या अनिच्छा से अपने बारे में लिखना पड़ा है। कुछ लोगों ने मेरी कृतियों पर काफी कुछ लिखा है। अनुज साहित्कार सुनील दास ने एक साप्ताहिक पत्रिका के लिए मेरा साक्षात्कार भी लिया था। इसी तरह की विभिन्न रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में छपी थीं, जो पुस्तक रूप में छप चुकी है। इस लंबे दौर में काफी रचनाएं खो भी गयी हैं। फिर भी जो मिल पायी हैं, उन्हें इस संस्करण में शामिल करके इस पुस्तक का प्रकाशन हो रहा है। मेरी कई किताबों की समालोचनाएं भी इस पुस्तक के अन्त में शामिल कर ली गयी हैं।

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लेखकाविषयी

 

विमल मित्र

 

(18 दिसंबर 1912 - 1991) 


विमल मित्र ख्यात बांग्ला लेखक व उपन्यासकार थे।

विमल ने सन्‌ 1938 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बांग्ला साहित्य में एम.ए. की उपाधि ली और रेलवे में विभिन्न पदों पर नौकरी की। जून 1956 में डिप्टी चीफ कंट्रोलर के पद से इस्तीफा दे दिया और स्वतंत्र लेखन करने लगे। उन्होंने भारतीय साहित्य को लगभग साढ़े तीन दशकों तक लिखते हुए 60 से अधिक उपन्यास और कहानी संग्रह दिए हैं। उनकी सर्वाधिक चर्चित कृतियों में साहिब बीवी और गुलाम शामिल है, जिस पर एक लोकप्रिय फिल्म का भी निर्माण हुआ। मुजरिम हाजिर नाम उनकी एक अन्य कृति पर एक लोकप्रिय टीवी धारावाहिक का भी निर्माण हुआ।


रचनाएं 

 

'साहब बीवी और गुलाम', 'खरीदी कौड़ियों के मोल' (दो-खंड), 'इकाई, दहाई, सैकड़ा', 'बेगम मेरी विश्वास' (दो खंड), 'दायरे के बाहर', 'मैं', 'राजा बादल', 'चरित्र', 'गवाह नंबर 3', 'वे दोनों', 'काजल', 'कन्यापक्ष', 'रोकड़ जो नहीं मिली,' 'चलो कलकत्ता,' 'हासिल रहा तीन', 'तपस्या', 'राग भैरवी', 'सुबह का भूला' आदि हैं।


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