उपनिषदांचा संदेश / Upanishadancha Sandesh

· Ramakrishna Math, Nagpur
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उपनिषदे ही आपले सनातन धर्मशास्त्र आहे. उपनिषदांना ‘श्रुती’ म्हणतात व ही परमात्म्याची वाणी म्हणून शाश्वत आहेत. यांमध्ये मानवाच्या अविनाशी, अनंत आणि दिव्य स्वरूपाचे विवेचन व त्याच्या प्राप्तीचा मार्ग सांगण्यात आला आहे. उपनिषदोक्त ज्ञान हे साधकांना व इतर सर्व सामान्यांना निश्चितच उपयुक्त व प्रेरणादायी असे आहे. सद्यस्थितीमध्ये नवयुगाच्या विविध समस्या व उपयोगिता यांकडे लक्ष देऊन या उपनिषदाची सर्वसामान्यांना समजेल व आचरणात आणता येईल अशी व्याख्या करणे अत्यंत आवश्यक होते. श्रीमत् स्वामी रंगनाथानंदजी महाराजांनी रामकृष्ण मिशन इन्स्टिट्यूट ऑफ कल्चर, गोल पार्क, कलकत्ता येथे 2 मे 1962 ते 19 जानेवारी 1963 या कालावधीत उपनिषदांवर प्रवचने दिली होती. त्याच प्रवचनांचा मराठी अनुवाद. स्वामी विवेकानंदांनी म्हटले आहे की, ‘‘उपनिषदांसंबंधी दुसरी जी गोष्ट मी तुम्हाला सांगू इच्छितो ती ही की उपनिषदांतील शिकवण ही कुण्या व्यक्तीची शिकवण नव्हे,ती ‘अपौरुषेय’ आहे. ... उपनिषदांचे खरे सामर्थ्य हे त्यांतील अपूर्व, महिमाशाली व ज्योतिर्मय अशा मंत्रामधेच आहे. कुण्याही व्यक्तींशी या मंत्राचा काहीच संबंध नाही. ... आणि तरीही ही उपनिषदे कोणत्याही व्यक्तीला विरोधी नाहीत; ती इतकी व्यापक, इतकी विशाल आहे की जगातील सर्व प्राचीन व भविष्यकालीन महापुरुषांना व आचार्यांना त्यात स्थान आहे. ... उपनिषदांतील ईश्वर हा जसा निर्गुण आहे अर्थात व्यक्तिरूप ईश्वराहून तो जसा पलीकडचा आहे तशीच स्वत: उपनिषदे ही देखील व्यक्तिनिरपेक्ष स्वरूपाची आहेत.

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