नागफनी का देश (Hindi Sahitya): Nagfani Ka Desh(Hindi Novel)

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· Bhartiya Sahitya Inc.
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रात के ग्यारह बजे हैं। एक निहायत टूटी-फूटी, पुरानी, बदरंग मोटर घड़र-घड़र करती हुई आती है और चौदह नंबर डिक रोड पर रुकती है। बँगला सो रहा है। मरघट का सियापा छाया हुआ है। मोटर सात-आठ बार पों-पों करती है मगर उसी आवाज़ शून्य में खो जाती है। बँगले के अन्दर का सन्नाटा नहीं टूटता। फाटक नहीं खुलता। तब एक लम्बा-तड़ंगा, दुहरे बदन का, गंदुमी रंग का आदमी चिंगुड़ा-मिंगुड़ा फ़लालैन का पतलून और ट्वीड का कोट पहने, ढीली-ढीली टाई लगाये, गले में स्टेथस्कोप और हाथ में एक बैग लटकाये मोटर में से उतरा है और फाटक पर खड़े होकर कन्हई-कन्हई की आवाज़ लगाता है। आवाज़ थकी हुई है। दस-बारह आवाज़ों के बाद कन्हई आँखें मलता और जम्हाई लेता हुआ आता है और फाटक खोलता है। यह आदमी कन्हई से कुछ भी नहीं कहता। वह ख़ामोशी से अपने हाथ का बैग उसको पकड़ा देता है और दुबारा मोटर में जाकर बैठता है और मोटर अंदर लाकर कम्पाउन्ड में खड़ी कर देता है और अपने कमरे में चला जाता है।

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Tentang pengarang

अमृत राय

 

जन्म- 1921, वाराणसी, उत्तर प्रदेश;

 

मृत्यु- 1996

 

उपन्यासकार, निबन्धकार, समीक्षक, अनुवादक थे। अमृत राय प्रेमचंद के छोटे बेटे हैं। पिता की तरह मूलतः कहानीकार व उपन्यासकार। श्रेष्ठ अनुवादक व जीवनीकार के रूप में भी ख्याति। व्यंग्यकार और समालोचक भी। प्रेमचंद की जीवनी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। नाट्य-लेखन में भी सक्रिय रहे। अंग्रेजी, बंगला और हिन्दी पर समान अधिकार।इनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। ये प्रगतिशील साहित्यकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

 

अमृत राय प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद के पुत्र थे। अमृतराय जी का विवाह सुभद्रा कुमारी चौहान जी की बेटी सुधा चौहान से हुआ था। इनकी पत्नी सुधा ने सुभद्रा कुमारी चौहान तथा अपने पिता लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी लिखी-' मिला तेज से तेज'

 

सम्पादक : प्रेमचंद की बिखरी रचनाओं के संपादन के अतिरिक्त आपने 'हंस' का संपादन अपने ही अंदाज़ में किया। यह 'हंस' और 'नई कहानी' के सम्पादक रहे हैं।

 

कृतियाँ : 'साहित्य में संयुक्त मोर्चा', 'सुबह का रंग', 'लाल धरती', 'नई समीक्षा', 'नागफनी का देश', 'हाथी के दांत', 'अग्निशिखा', 'फांसी के तख्ते से', 'कस्बे का एक दिन', 'गीली मिट्टी', 'कठघरे', 'जंगले', 'सहचिंतन', 'भटियाली', 'आधुनिक भावबोध की संज्ञा', 'बतरस', 'चतुरंग', 'सारंग' और 'धुआं'।

 

'प्रेमचन्द', 'कलम का सिपाही'( जीवनी), 'बीज' (उपन्यास), 'तिरंगा कफ़न' (कहानी-संग्रह)

 

अनुवाद : 'स्पार्टाकस' का अनुवाद 'आदिविद्रोही', 'हैमलेट' का, 'समरगाथा'।

 

पुरस्कार : अमृतराय जी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।


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