भज गोविन्दम् (Hindi Sahitya): Bhaj Govindam (Hindi Prayer)

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‘भज गोविन्दम्’ देखने में भले ही छोटा ग्रन्थ लगे, परन्तु वास्तव में आदि शंकर की यह एक महत्वपूर्ण रचना है। इसमें वेदान्त के मूल आधार की शिक्षा सरल गान में दी गई है, ताकि कोई बुद्धिमान व्यक्ति अगर इसका अध्ययन सच्चाई के साथ करे तो उसके सारे मोह नष्ट हो सकते हैं, और इसीलिए इसका एक मान पड़ा ‘मोह-मुद्गर’।

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आदि शंकराचार्य
( 788 - 820 ई. )
आदि शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रणेता थे। उनके विचारोपदेश आत्मा और परमात्मा की एकरूपता पर आधारित हैं जिसके अनुसार परमात्मा एक ही समय में सगुण और निर्गुण दोनों ही स्वरूपों में रहता है। स्मार्त संप्रदाय में आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार माना जाता है। इन्होंने ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, मांडूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय, बृहदारण्यक और छान्दोग्योपनिषद् पर भाष्य लिखा। वेदों में लिखे ज्ञान को एकमात्र ईश्वर को संबोधित समझा और उसका प्रचार तथा वार्ता पूरे भारत में की। उस समय वेदों की समझ के बारे में मतभेद होने पर उत्पन्न जैन और बौद्ध मतों को शास्त्रार्थों द्वारा खण्डित किया और भारत में चार कोनों पर चार मठों की स्थापना की।

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