मेरी कहानियाँ-अमृतलाल नागर (Hindi Sahitya): Meri Kahaniyan-Amrit Lal Nagar (Hindi Stories)

· Bhartiya Sahitya Inc.
5.0
3 Rezensionen
E-Book
128
Seiten
Zulässig

Über dieses E-Book

अमृतलाल नागर हिन्दी के उन गिने-चुने मूर्धन्य लेखकों में हैं जिन्होंने जो कुछ लिखा है वह साहित्य की निधि बन गया है। सभी प्रचलित वादों से निर्लिप्त उनका कृतित्व और व्यक्तित्व कुछ अपनी ही प्रभा से ज्योतित है उन्होंने जीवन में गहरे पैठकर कुछ मोती निकाले हैं और उन्हें अपनी रचनाओं में बिखेर दिया है उपन्यासों की तरह उन्होंने कहानियाँ भी कम ही लिखी हैं परन्तु सभी कहानियाँ उनकी अपनी विशिष्ठ जीवन-दृष्टि और सहज मानवीयता से ओतप्रोत होने के कारण साहित्य की मूल्यवान सम्पत्ति हैं।

Bewertungen und Rezensionen

5.0
3 Rezensionen

Autoren-Profil

अमृत लाल नागर

 

( 1916 - 1990 )


अमृत लाल नागर का जन्म 17 अगस्त 1916 ई0 को आगरा (उ0प्र0) में हुआ। आपके पिता का नाम राजाराम नागर था। नागर जी का निधन 1990 ई0 में हुआ। आपने इण्टरमीडिएट तक शिक्षा ग्रहण की। नागर जी की भाषा - सहज, सरल दृश्य के अनुकूल है। मुहावरों, लोकोक्तियों, विदेशी तथा देशज शब्दों का प्रयोग आवश्यकतानुसार किया गया है। भावात्मक, वर्णनात्मक, शब्द चित्रात्मक शैली का प्रयोग इनकी रचनाओं में हुआ है।

रचनाएँ

उपन्यास - सेठ बाँकेमल, बूँद और समुद्र्र, सतरंज के मोहरे, सुहाग के नूपुर, अमृत और विष, सात घूँघट वाला मुखड़ा, एकदा नैमिषारण्ये, मानस का हंस, नाच्यौ बहुत गोपाल

व्यंग्य, निबन्ध, रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी आदि विधाओं में आपने महत्वपूर्ण कार्य किया।

संपादन- सुनीति सिनेमा समाचार, हास्य व्यंग्य साप्ताहिक चकल्लस आदि का संपादन। नया साहित्य, प्रसाद मासिक पत्रों का संपादन किया।

अन्य- 1940 से 1947 तक फिल्म सेनेरियो का लेखन कार्य किया। 1953 से 1956 तक आकाशवाणी लखनऊ में ड्रामा प्रोड्यूसर रहे।
 

पुरस्कार

साहित्य अकादमी सोवियत लैण्ड नेहरू पुरस्कार, बटुक प्रसाद पुरस्कार, प्रेमचन्द पुरस्कार, वीर सिंह देव पुरस्कार। विद्या वारिघि, सुधाकर पदक तथा पद्म भूषण से अलंकृत किया गया।

आपको भारत सरकार द्वारा १९८१ में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। 

Dieses E-Book bewerten

Deine Meinung ist gefragt!

Informationen zum Lesen

Smartphones und Tablets
Nachdem du die Google Play Bücher App für Android und iPad/iPhone installiert hast, wird diese automatisch mit deinem Konto synchronisiert, sodass du auch unterwegs online und offline lesen kannst.
Laptops und Computer
Im Webbrowser auf deinem Computer kannst du dir Hörbucher anhören, die du bei Google Play gekauft hast.
E-Reader und andere Geräte
Wenn du Bücher auf E-Ink-Geräten lesen möchtest, beispielsweise auf einem Kobo eReader, lade eine Datei herunter und übertrage sie auf dein Gerät. Eine ausführliche Anleitung zum Übertragen der Dateien auf unterstützte E-Reader findest du in der Hilfe.