श्री हनुमान चालीसा व श्री हनुमान आरती: तुलसीदासकृत

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· राजेंद्र कुमार यादव
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तुलसीदासकृत  श्री हनुमान चालीसा व श्री हनुमान आरती

श्री हनुमान चालीसा (४० श्लोकों का संग्रह है) द्वारा हनुमान के लगभग समस्त कार्यों पर प्रकाश डालती है। बचपन से सूर्य को निगलने से लेकर महासमुंद्र पार करना अक्षय कुमार को मरना संजीवीनी लाना और अन्य कार्यों को ऐसा माना जाता है कि श्री हनुमान चालीसा का मनन और प्रतिदिन पाठ करने से मनुष्य को किसी तरह की समस्या नही होती है।


पुस्तक के दूसरे भाग में श्री हनुमान आरती है जोकि बाबा तुलसीदास द्वारा ra

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Հեղինակի մասին

तुलसीदासजी का जन्म संवत 1589 को उत्तर प्रदेश (वर्तमान बाँदा ज़िला) के राजापुर नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे तथा माता का नाम हुलसी था। इनका विवाह दीनबंधु पाठक की पुत्री रत्नावली से हुआ था। अपनी पत्नी रत्नावली से अत्याधिक प्रेम के कारण तुलसी को रत्नावली की फटकार "लाज न आई आपको दौरे आएहु नाथ" सुननी पड़ी जिससे इनका जीवन ही परिवर्तित हो गया। पत्नी के उपदेश से तुलसी के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया। इनके गुरु बाबा नरहरिदास थे, जिन्होंने इन्हें दीक्षा दी। इनका अधिकाँश जीवन चित्रकूट, काशी तथा अयोध्या में बीता।


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॥ॐ श्री हनुमते नमः॥

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