किसी भी घर, समाज अथवा देश की शान बुलंद करनी हो तो उसके बालकों एवं विद्यार्थियों को बुलंद करना चाहिए ।
इसी सूत्र को लक्षित कर ‘संत श्री आशारामजी आश्रम’ द्वारा संचालित बालसंस्कार केंद्रों में बच्चों एवं विद्यार्थियों में किए जा रहे सुसंस्कार-सिंचन का दर्शन करानेवाली या पुस्तक ‘संस्कार दर्शन’ विद्यार्थियों अभिभावको शिक्षकों एवं बाल संस्कार केंद्र के संचालकों, सभी के लिए ज्ञान का एक उत्तम खजाना है । विद्यार्थियों के जीवन-निर्माण हेतु या एक अनमोल उपहार है ।
मिठाई के पैकेट की अपेक्षा मित्र को उसके परिवार तथा उसकी सात पीढ़ियों तारनेवाली बाल संस्कार प्रदर्शनी पर आधारित पुस्तक ‘संस्कार दर्शन’ देना अच्छा होगा। -पूज्य बापूजी