5 Indriyon Ke Coach Kaise Bane (Hindi edition): Inner Secrets Of Outer Success

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इंद्रियों पर जीत कब, क्यों और कैसे प्राप्त करें

काबिल बनने का अंदरूनी तरीका

कछुआ एक ऐसा प्राणी है, जिसके अंदर अपने आपको सुरक्षित रखने का महत्वपूर्ण गुण होता है। जब भी उसे अपने आस-पास किसी तरह का कोई खतरा दिखाई दे तो वह सभी पैरों को अंदर समेटकर, झट से अपने खोल में घुस जाता है। फिर वह खतरा चाहे समुद्री प्राणियों से हो या बाहरी किसी अन्य जीव से।

हमें भी कछुए के इसी गुण को अपनाकर, माया में उलझी इंद्रियों को सुरक्षित बाहर आने (शुद्ध होने) की कला सिखानी है। कछुए के पैरों की तरह इंसान को भी पाँच इंद्रियाँ मिली हैं, जो हर समय माया के फैलाए जाल में उलझती रहती हैं। अब इन्हीं इंद्रियों को प्रशिक्षित करना है ताकि जब भी हमारा मन माया में जाए और उसे वहाँ किसी तरह का कोई खतरा दिखाई दे तो वह तुरंत अपनी इंद्रियों को समेटकर, अंदर की तरफ मुड़ जाए और अपना बचाव कर ले।

इंद्रियों को कैसे समेटकर, स्टेप बाय स्टेप प्रशिक्षण देना है, यह समझने के लिए इस पुस्तक के हर खण्ड का गहराई से अध्ययन कर, इसे अपने जीवन में उतारें। साथ ही इसमें जानें :

* मन पर बुद्धि का अंकुश मंत्र क्या है

* ऐन्द्रिक अभ्यास का मार्ग क्या है

* इंद्रियों का उपवास कैसे करें

* इंद्रियों से कब कहें ‘नो न्यू न्यूज़’

* शरीर और इंद्रियाँ कमजोरी नहीं, शक्ति कैसे बनें

* इंद्रियों को अपना दोस्त बनाने का राज़ क्या है

* पंचेंद्रियाँ कामयाबी की सीढ़ी कैसे बनें

* इंद्रियों को अंदर की तरफ कैसे मोड़ें

* इंद्रियों का उच्चतम उपयोग कैसे करें

Ratings and reviews

4.7
16 reviews
Tejam Tejasthan
20 October 2021
superb
1 person found this review helpful
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Sukhvinder Randhawa
15 April 2024
Aaâzaaàaaaaa
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Sunil Kumar
7 April 2024
Ok
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About the author

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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