आकाशीय पिण्डो के गतिचक्र मे हमारी दिनचर्या भी प्रकृति ने गतिमान कर दी | आगे बढ़ाना, रुकना, थकना और फिर नई उमंग के साथ आगे बढ़ाना यह तो हमारा स्वभाव सा हो गया है | नव ग्रहों के साथ असंख्य अगणित ग्रहपिंडो की ऊर्जा से हम प्रभावित होते है | इन्ही सब का एक मिल परिपाक आपको इस ई-पुस्तिका मे मिलेगा |
धन्यवाद !
लेखन मेरा एक शिशु प्रयास है | बचपन से मन जीवन के सत्य की खोज मे था | उम्र के 30 साल तक भौतिक जीवन मे यश-अपयश के बाद भी दिल को सुकून नहीं मिला। और ऐसेही एक दिन मेरे सद्गुरुदेव निखिलेश्वरनन्द्जी ने मेरी उंगली पकड़ी और अध्यात्म की नहीं राह पर मेरा नया, अद्भुत, शांत, रहस्यमय जीवन शुरू हुआ | आज उन्ही की दया दृष्टि से चला रहा हु |
कम्प्युटर मैनेजमेंट मे पीजी के बाद सद्गुरुकृपासे ज्योतिषशास्त्र मे डॉक्टरेट हुई | माँ सरस्वती की असीम कृपा और सद्गुरुकी प्रेरणा से 100 से ज्यादा किताबे प्रकाशित हुई और अन्य लेखन अविरत शुरू रहेगा यह विश्वास है | अब तक 5000 से अधिक देश-विदेश के सभी पीड़ित जातको के प्रश्न, समस्या हल हुई है और यह प्रयास गुरुकृपा से शुरू है |