आत्म-मंथन – कबीर वाणी संग
इस पुस्तक में मिलेगा आपको आत्म-मंथन का ज्ञान और संत कबीर की पहचान| उन्नति और स्व में स्थित होने के मार्ग का नाम है ‘आत्म-मंथन’| आत्म-मंथन यानी स्व पर मनन करना| मंथन का एक और अर्थ है| दही को मथने पर मक्खन निकलता है| मक्खन दही में छिपा हुआ है, इसे बाहर निकालने के लिए मंथन आवश्यक है| मक्खन से ही सच्चा घी, सच्ची घीता (गीता) निर्माण होती है| मंथन शक्ति से आपको यह गीता प्राप्त करनी है|
आत्म-मंथन आपकी नज़र को दिव्य दृष्टि में परिवर्तित कर देता है| जब तक दृष्टि को प्रशिक्षण नहीं मिलता तब तक ही आप सृष्टि की सूक्ष्म बातें नहीं देख पाते| जीवन की नकारात्मक घटनाओं को भी सकारात्मक बना देने की क्षमता आत्म-मंथन की शक्ति में है| ङ्गिर आप जान पाएँगे कि जो घटना ऊपर से नकारात्मक लग रही थी, वास्तव में वह आपकी आत्मसाक्षात्कार की प्रार्थना को पूरी कर रही थी| दरअसल हर घटना आपके जीवन में स्थिरता ला रही थी|
संत कबीर की वाणी भी ऐसी ही है| कबीर वाणी संग आत्म-मंथन करना, स्वयं को अनमोल ज्ञान की भेंट देने बराबर है| उनके दोहे की हर पंक्ति में गहरा अर्थ छिपा है| हर दोहा मनन करने योग्य है|
इस पुस्तक में आत्म-मंथन की कला के साथ संत कबीर के दोहे, उनके अर्थ और साथ ही मंथन करने के लिए कुछ प्रश्न भी दिए जा रहे हैं ताकि आपकी आध्यात्मिक यात्रा को पंख मिलें|
इस पुस्तक द्वारा अपने आपको जानकर, अपने शरीर की वृत्तियों को परखकर, इसके संस्कार और पैटर्न छानकर आप स्वयं अपनी ‘विश्वास गीता’ का मंथन करने में काबिल हो सकते हैं|
यह केवल पुस्तक नहीं बल्कि मनन की मथनी है, जिसे अपने हाथ में लेकर आप आत्म-मंथन कर, सत्य का मक्खन प्राप्त कर सकते हैं|