जिस तरह आकाश में भिन्न-भिन्न प्रजाति के पक्षी उड़ते हैं, जिस तरह बाग - बगीचों में विविध रंग, रूप और सुगंध के पुष्प खिलते हैं, उसी तरह हमारे मन में भी विभिन्न भावों का संचार होता है, यही भाव जब सतत् किसी सदानीरा नदी की तरह प्रवाहमान होने लगते हैं इन भावों से जो कविता बनती है, वही कहलाती है भाव सरिता।
इस पुस्तक में बहुत अधिक विविधता लिए, बहुरंगे भावों का, हृदयस्पर्शी प्रवाह है।जो पाठक को यथार्थ व कल्पना लोक के नये- नये आयामों का स्पर्श कराता है।