आशा की उड़ान कितनी ऊँची हो सकती है, इसकी कल्पना करें। यह उड़ान इंसान में ही संभव है क्योंकि वही एक ऐसा प्राणी है, जो आशा-निराशा में गोते लगाते रहता है।
जब जीवन में निराशा जुड़ जाती है तो यही उड़ान नीचे की ओर गिरने लगती है। इंसान स्वयं को लाचार महसूस कर दुःख में, डिप्रेशन में जीने लगता है। उसे पता नहीं है कि आशावादी विचार क्या कर सकते हैं।
आशा की किरण दिखे बिना भी यदि कोई अपने विचारों पर काम करना शुरू करे तो वह दुःख की दवा प्राप्त कर लेगा। डिप्रेशन का इलाज उसके खुद के अंदर ही पा लेगा।
मनुष्य के अंदर सारे जवाब पहले से ही उपलब्ध हैं। केवल उन्हें टैप करना है, क्लिक करना है। बिना क्लिक किए आपके मोबाइल में भी कुछ खुलता नहीं तो अपने अंदर के जवाब कैसे खुलेंगे? इसलिए इंसान को भी क्लिक करना सीखना होगा।
इस पुस्तक में ऐसे तरीके बताए गए हैं, जिनकेउपयोग से निराशा से घिरा इंसान जीने की चाह पाकर आशा की उड़ान भर सकता है। इस पुस्तक में पढ़ें :
• स्वास्थ्य की शक्ति को बाहर लाने के लिए काउन्सलर कैसे बनें?
• क्या हैं डिप्रेशन से बाहर आने के आसान और प्रभावशाली उपाय?
• डिप्रेशन से बचने के लिए क्या सावधानी बरतें?
• छोटे और कारगर मंत्र वाक्यों के ज़रिए निराशा से कैसे बाहर आएँ?
• निराशा से फोकस हटाने के विभिन्न तरीके क्या हैं?
• क्या है डिप्रेशन भगाने का उच्चतम टूल?
• निराशा में आशा की किरण क्या है?
• कैसे डिप्रेशन से मुक्ति के लिए जीने की चाह और आशा की राह
• मददगार साबित हो सकती है?
सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।
उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।
सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’
सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।