Pahiye Zindagi ki

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क्या आप बचपन में साइकिल को लेकर उत्साहित रहे हैं? या आप ने साइकिल पर सवार हो कर, अपने बचपन में कई क़िस्म के एडवेंचर जिए हैं? तो यह कहानी आपको समय के पहियों पर सवारी करवा, आपके यादों के भंवर को एक बार अवश्य छेड़ेगी। हँसी-मज़ाक़ के साथ कुछ सामाजिक मुद्दों को आपके समक्ष प्रस्तुत कर, आपके दिलों में उतरने को तैयार, एक बालक “बिट्टू” की साइकिल अपना रास्ता बना रही है।

"ट्रिंग- ट्रिंग"

साइकिल की घंटी बज चुकी है, तो दिल खोल के स्वागत कीजिए! बिट्टू और उसके एडवेंचर की कहानी "पहिये ज़िन्दगी के" का।

इस कहानी में ज़िन्दगी के सभी पड़ाव के किरदारों को रचा गया है। ताकि आप सभी इन्हे पढ़, अपने मनोरंजन का भरपूर आनंद उठा सकें। जिस तरह पहिये किसी सवारी से भेद-भाव नहीं करते, वैसे ही यह कहानी भी सभी के मनोरंजन का ध्यान रखते हुए, काल्पनिक तड़के के साथ तैयार की गई है।

तो पकड़िए हमारा हाथ और आ बैठिये! हमारी कहानी के सफ़र में।

सोच क्या रहे हैं?

मनोरंजन पर तो सबका समान अधिकार है।

ये हुई ना बात! मुस्कुराएँ और महसूस करें पहियों के इस सफ़र को, हमारे शब्दों के ज़रिए।

धन्यवाद!

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Acerca del autor

नितीश चौबे भोपाल शहर के एक कलाकार हैं। जिन्होंने भोपाल स्कूल ऑफ़ सोशल साइंसेस से बेचलर इन बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की स्नातक डिग्री हासिल करने के बाद, फ़िल्म एवं टेलीविज़न इंडस्ट्री की तरफ़ क़दम बढ़ाया।

अपनी एक शार्ट फ़िल्म "ए बिटर पिल" के लिए इन्हे “लिआफ इंटरनेशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल” से बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का ख़िताब भी मिला।

कहानियों से विशेष लगाव होने के कारण "पहिये ज़िन्दगी के" इनके द्वारा लिखित पहली किताब है।

कलाकार की ज़िन्दगी को जीते हुए यह आगे भी आप लोगों का मनोरंजन, नई-नई कहानियों और किरदारों के ज़रिए करते रहेंगे।

लेखन और अभिनय के अलावा इन को क्रिकेट खेलना भी बेहद पसंद है।

आप सभी के आशीर्वाद और प्यार से लेखन की दिशा में पहली काल्पनिक कहानी प्रस्तुत है।

"ईश्वर और ख़ुद पर विश्वास रखना" ही जीवन का मूल मन्त्र मानकर, सभी के मनोरंजन की सेवा में कार्यरत रहना ही यह अपने जीवन का उद्देश्य मानते हैं।

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