हर इंसान का जीवन जिस महान सूत्र पर आधारित होना चाहिए, वह है- पहले राम, फिर काम। इसी सूत्र को पकड़कर भरत ने अयोध्या का राज-काज सँभाला। लक्ष्मण हर पल श्रीराम की सेवा में रहेऔर हनुमान ने तो समुंदर पार करने से लेकर लंका दहन, संजीवनी पर्वत लाने जैसे अनेक दुर्लभ कार्य कर दिखाए।
तो आइए, हम भी अपने भीतर स्थित प्रेम,कर्म भावना और वासना की पहचान पाकर, जान लें-
* हमारे भीतर राम कौन है और रावण कौन है?
* हर काम से भी पहले करने योग्य वह प्रथम काम कौन सा है, जिसे करने के बाद आगे के सभी काम सफल होते हैं?
* अपनी कामनाओं के पीछे की भावनाएँ क्यों बदलना जरूरी है?
* प्रेम, काम और वासना क्या है, येे एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैेंं?
* अपनी और दूसरों की चेतना का स्तर कैसे बढ़ाएँ?
* चरित्र की नींव मजबूत कैसे करें?
* भक्ति में आनेवाली रूकावटों को कैसे हटाएँ ?
* क्रोध पर विजय क्यों प्राप्त करें?
* संवादों की शक्ति का सही इस्तेमाल कैसे करेेंं?
यह पुस्तक रामकथा की सभी बारीकियों, उसमें छिपी अनमोल सीखों को प्रकाशित करने में पूरी तरह सक्षम है। इसे पढ़कर आप निश्चय ही कह उठेंगे- ‘इस बात का यह अर्थ है, ऐसा तो मैंने कभी सोचा ही न था..!’
Θρησκεία και πνευματικότητα