Sadguru Nanak: Sadhana Rahasya Aur Jeevan Charitra

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४.०
१२ समीक्षाहरू
इ-पुस्तक
160
पृष्ठहरू

यो इ-पुस्तकका बारेमा

मैं बड़ा हूँ कहकर छोटे न बने
कहें कि मैं ईश्वर के हुकुम से बना हूँ

ईश्वर ने बड़े और छोटे हर तरह के मटके (शरीर) बनाए हैं I जब बड़ा मटका कहता है कि ‘मैं बड़ा हूँ’ तो यह कहकर वह असल मैं छोटा हो जाता है I
यदि छोटा मटका कहता है कि “मैं तो ईश्वर के हुकुम से बना हूँ, मुझे छोटा या बड़ा मालूम नहीं है,’ तो समझ के साथ यह कहना उसे बड़ा बना देता है I जो छोटे मटके ऐसा कह पाते हैं, ईश्वर के हुकुम से वे बड़ा काम कर दिखाते हैं I अहंकार रखकर जो मटके स्वयं को बड़ा दिखाते हैं, बे ओछा काम कर दिखाते हैं I अहंकार रखकर जो मटके स्वयं को बड़ा दिखाते हैं, वे ओछा काम करके अपनी और दूसरों की नज़रों मैं छोटे हो जाते हैं I मानव जाती के सामने ऐसा कोई उदहारण हैं I

गुरु नानक देव संपूर्ण जीवन ईश्वर के हुकुम पर जिए और बड़े बन गए I उनका जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो प्रभु के हुकुम पर चलना चाहते हैं, परन्तु हिम्मंत नहीं कर पाते I

नानक एक ऐसे महान संत हैं, जिन्होंने अपने समय के कर्मकाण्डों पर अपनी वाणी से कड़ा प्रहार किया I उन्होंने सरल भाषा में ज्ञान का प्रचार कर लोगों को मोक्ष की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया, जिसका लाभ आज तक लिया जा रहा है ओर आगे भी लिया जाता रहेगा I

इस पुस्तक के माध्यम से गुरु नानक की जीवनी, कहानियों और सीखों का अध्ययन कर ख़ुशी का खज़ाना प्राप्त करें I

मूल्याङ्कन र समीक्षाहरू

४.०
१२ समीक्षाहरू

लेखकको बारेमा

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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