Shreshth Nibandh : Aacharya Ramchandra Shukla

· Rajkamal Prakashan
5,0
2 reseñas
eBook
192
Páginas

Información sobre este eBook

श्रेष्ठ निबन्ध आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के चुने हुए निबन्धों का संग्रह है - ऐसे निबन्ध जो उनके सभी प्रकार के निबन्धों का सही प्रतिनिधित्व करते हैं, साथ ही उनकी आचार्यसुलभ गरिमा को उद्भाषित भी करते हैं। इन्हें पढ़ने से यह स्पष्ट होता है कि आचार्य शुक्ल ने बौद्धिक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भारतीय रस- सिद्धांत को पुनराख्यायित करते हुए काव्य की जिस विश्लेषणात्मक पद्धति का विकास किया, वह प्रासंगिकता की दृष्टि से आज भी कितनी महत्त्वपूर्ण है। उनकी निबन्ध-शैली की प्रायः सभी विशिष्टताओं की झलक इनमें मिल जाती है - चाहे वह उनकी विचारात्मकता हो या भावात्मकता अथवा व्यंग्यात्मकता। निबन्ध-रचना की दृष्टि से वह एक विचारक ही नहीं, बल्कि एक सहृदय रचनाकार के रूप में भी हमारे सामने प्रत्यक्ष हो उठते हैं। ये श्रेष्ठ निबंध प्रस्तुत करते हुए डॉ. रामचन्द्र तिवारी ने इसके आरम्भ में एक उपयोगी भूमिका दी है जिसमें आग्रह-मुक्त भाव से उन्होंने आचार्य शुक्ल की वैचारिकता का विवेचन और रचना-दृष्टि का विश्लेषण किया है।

Valoraciones y reseñas

5,0
2 reseñas

Acerca del autor

आचार्य रामचन्द्र शुक्ल जन्म : बस्ती जिले के आयोग नामक गाँव में सन् 1884 ई. शिक्षा : सन् 1888 में वे अपने पिता के साथ राठ जिला हमीरपुर गया तथा वहीं पर विद्याध्यन प्रारम्भ किया। सन् 1901 ई. में उन्होंने मिशन स्कूल से फाइनल की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा प्रयाग के कायस्थ पाठशाला इंटर कॉलेज में एम.ए. पढने के लिए आये। वे बराबर साहित्य, मनोविज्ञान, इतिहास आदि के अध्ययन में लगे रहे। गतिविधियाँ : मीरजापुर के मिशन स्कूल में अध्यापन, 1909-10 ई. के लगभग श्हिन्दी शब्द सागर्य काशी नागरी प्रचारिणी सभा के श्नागरी प्रचारिणी पत्रिका्य का सम्पादन, कोश का कार्य समाप्त हो जाने के बाद शुक्ल जी की नियुक्ति हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस में हिन्दी के अध्यापक रूप में हो गयी। सन् 1937 ईत्र में वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी-विभागाध्यक्ष नियुक्त हुए। साहित्यिक सेवा : चिन्तामणि भाग, हिन्दी साहित्य का इतिहास, त्रिवेणी, रसमीमांसा, जायसी, सूरदार, गो-तुलसीदास आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। सम्पादनकृहिन्दी शब्द सागर, भ्रमरगीत सार, जायसी ग्रन्थावली, तुलसी ग्रन्थावली, नागरी प्रचारिणी पत्रिका। निधन : 2 फरवरी, सन् 1941

Valorar este eBook

Danos tu opinión.

Información sobre cómo leer

Smartphones y tablets
Instala la aplicación Google Play Libros para Android y iPad/iPhone. Se sincroniza automáticamente con tu cuenta y te permite leer contenido online o sin conexión estés donde estés.
Ordenadores portátiles y de escritorio
Puedes usar el navegador web del ordenador para escuchar audiolibros que hayas comprado en Google Play.
eReaders y otros dispositivos
Para leer en dispositivos de tinta electrónica, como los lectores de libros electrónicos de Kobo, es necesario descargar un archivo y transferirlo al dispositivo. Sigue las instrucciones detalladas del Centro de Ayuda para transferir archivos a lectores de libros electrónicos compatibles.