पाश्चात्य सभ्यता के बढ़ते हुए प्रभाव के कारण हम अपनी युगों पुरातन और परंपरागत भारतीय संस्कृति, आचार-व्यवहार और सभ्यता को भूलते जा रहे हैं। हम अपने उन पुराने धार्मिक संस्कारों, विश्वासों और आस्थाओं को भी धीरे-धीरे विस्मृत करते जा रहे हैं, जिनका हमारे पूर्वज कठोरता के साथ पालन ही नहीं करते थे, वरन् उसके माध्यम से वे अपने लौकिक और पारलौकिक जीवन को भी सुखमय तथा मंगलमय बनाने की कामना किया करते थे। आज के वैज्ञानिक युग में भी पूजा-अर्चा, यज्ञ आदि का अपना विशिष्ट स्थान है और हमारे देश की न केवल आस्तिक और धर्मप्राण, वरन् बहुसंख्य सामान्य जनता भी, चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, भाषा, आचार-व्यवहार, विचार की क्यों न हो, इसका किसी-न-किसी रूप में आश्रय अवश्य लेती हैं।
धार्मिक और मांगलिक अनुष्ठान तथा पूजा-अर्चा में हम अपने उपास्य देवता के पुण्य स्मरण के अलावा पूजा के विविध उपकरणों अथवा वस्तुओं का भी प्रयोग करते हैं, जिसमें नारियल, मंगल-घट, पान, घंटी, माला, दीपक, तिलक, यज्ञोपवीत, शंख आदि सम्मिलित हैं। इनके अभाव में चाहे हम कितने भी आधुनिक विचारों वाले प्रगतिशील क्यों न हो, हमारे जीवन के कोई भी धार्मिक अनुष्ठान संपूर्ण नहीं समझे जा सकते । प्रस्तुत पुस्तक में भारतीय संस्कृति के चुने हुए पच्चीस प्रमुख प्रतीकों के महत्व एवं उनकी विशेषताओं के बारे में संक्षिप्त रूप में प्रकाश डालने का प्रयत्न किया गया है। आशा है यह पुस्तक अपनी गौरवपूर्ण भारतीय संस्कृति, सभ्यता और आचार-व्यवहार को उच्च स्थान देने वाले लोगों के लिए रुचिकर एवं ज्ञानवर्द्धक प्रतीत होगी।
रतसड़, बलिया
-उदय नारायण सिंह
Uday Narayan Singh
Born: 1 January 1928
Education: M.A. Worked for 24 years as assistant editor in Hindi 'Amrit Patrika' and 'Bharat' Allahabad.
Head of the Hindi Department of the Soviet Information Center in the Soviet Embassy in India for the last 11 years.
Other books of the author : Children's Literature : National Flag,
Our National Symbols, Five Pilgrimages of Freedom Struggle, King of the Jungle, Vanraj Tiger, National Bird, Ganga Maiya. General: Immortal Revolutionary, Middle
State and the Soviet Union.