Vichar Niyam For Youth (Hindi edition)

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.5
10 समीक्षाएं
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208
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इस ई-बुक के बारे में जानकारी

कुछ युवाओें के लिए जीवन में सङ्गलता पाना सहज होता हैतो कुछ युवाओं को यह सबसे कठिन कार्य लगता है| किसी को कम समय में बेहतर परिणाम मिलते हैं तो कुछ लोग थोड़ी सीढ़ी चढ़ने के बाद तुरंत सॉंप के मुंह में ङ्गंस जाते हैं यानी उनके जीवन में ’कभी खुशी-कभी गम’ का खेल चलते ही रहता है| किसी के पास स्वास्थ्य की दौलत होती है तो किसी को देखकर लगता है, जैसे उस इंसान ने बीमारी के साथ ही दोस्ती की है| विश्‍व में असंख्य टीनेजर्स हैं मगर कुछ ही आगे जाकर सङ्गलता के आसमान को छू पाते हैं और वहॉं टिक पाते हैं| ऐसा क्यों? क्योंकि कुछ टीन्स् के पास ’विचार नियम’ नामक ऐसा पासा होता है, जो उन्हेंे हमेशा उच्चतम शिखर की तरङ्ग ले जाता हैआप भी ’विचार नियम’ पुस्तक से कुदरत के इन खास नियमों को जान लें और अपने विचारों को दिशा देने में माहिर बनें| ये नियम जानकर आप अपने जीवन में जो चाहें वो पा सकते हैं- अच्छा करियर, सच्चे मित्र, सुखी परिवार, प्रेम, शांति, समृद्धि, समय, खुशी, रिश्तों में मिठास, तन और मन में भरपूर ऊर्जा, चरित्र की दौलत, सङ्गलता के शिखर पर ले जानेवाले गुण और जीवन की सुंदरता बढ़ानेवाला ज्ञान... ऐसी अनगिनत सकारात्मक चीजें पाने का रहस्य प्रस्तुत पुस्तक में उजागर हुआ है| तो क्या आप यह बाजी मारने के लिए, अपना जीवन संवारने के लिए तैयार हैं?|



रेटिंग और समीक्षाएं

4.5
10 समीक्षाएं

लेखक के बारे में

सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।


उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।


सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’


सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अॅण्ड सन्स इत्यादि।

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