Yajurveda: Indology

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यजुर्वेद

द्वितीय वेद के रूप में प्रसिद्ध यजुर्वेद ज्ञान (वेद) की वह शाखा है, जिस में यज्ञीय कर्मों का वर्चस्व है, क्योंकि इस के गद्यात्मक मंत्र पुरोहितों द्वारा यज्ञ संपन्न कराने के लिए संकलित किए गए थे। इसीलिए आज भी विभिन्न संस्कारों एवं यज्ञीय कर्मों के अधिकांश मंत्र यजुर्वेद के ही होते हैं।

इस प्रकार ‘यजुर्वेद’ से वैदिक काल की यज्ञीय संस्कृति की झलक मिलती है। साथ ही ज्ञानविज्ञान, आत्मापरमात्मा तथा अन्य समाजोपयोगी ज्ञान भी इस में विद्यमान है।

यह ज्ञान जनसाधारण तक पहुंच सकेµइसी उद्देश्य से ‘यजुर्वेद’ का यह सरल हिंदी अनुवाद प्रस्तुत है। प्रसिद्ध वैदिक भाष्यकार आचार्य उवट के भाष्य पर आधारित ‘यजुर्वेद’ के इस हिंदी रूपांतर से साधारण पाठक भी यज्ञ विधानों, सामाजिक संस्कारों आदि कर्मों की महत्ता प्रतिपादित करने वाले इस वेद के मंत्रें का वास्तविक अर्थ और अभिप्राय समझ सकते हैं। सभी वर्गों के पाठकों के लिए उपयोगी, पठनीय एवं संग्रहणीय ‘यजुर्वेद’ का सरल, सरस एवं सुबोध हिंदी अनुवाद।

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