जिनकी याद हमेशा हरी रहेगी (Hindi Sahitya): Jinki Yaad Hamesha Hari Rahegi (Hindi Memoir)

· Bhartiya Sahitya Inc.
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प्रख्यात लेखक अमृत राय के विभिन्न साहित्यकारों के संस्मरण : अब तो ठीक याद भी नहीं कि नागरजी ने कब पहली बार अपनी चिट्ठी में इस संबोधन का इस्तेमाल किया था, पर जब भी किया हो इस प्यारे संबोधन की बात पहले उन्हीं को सूझी थी। सचमुच बड़ा अच्छा संबोधन था ये जो एक खिलंडरे अंदाज में बीच की बहुत-सी बेमतलब दूरियाँ ख़त्म करके बड़ी प्यारी-सी एक आत्मीयता का संबंध खेल-खेल में बना देता था। और मुझे अच्छी तरह याद है कि उनकी उस पहली चिट्ठी के बाद से हम दोनों अपनी चिट्ठियों में यही संबोधन इस्तेमाल करते थे। चिट्ठियाँ लिखने में हम दोनों ही जरा आलसी थे पर जो भी चिट्ठियाँ उनके पास या मेरे पास संयोगवश बच गयी होंगी, उनमें यही मिलेगा

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À propos de l'auteur

अमृत राय

 

जन्म- 1921, वाराणसी, उत्तर प्रदेश;

 

मृत्यु- 1996

 

उपन्यासकार, निबन्धकार, समीक्षक, अनुवादक थे। अमृत राय प्रेमचंद के छोटे बेटे हैं। पिता की तरह मूलतः कहानीकार व उपन्यासकार। श्रेष्ठ अनुवादक व जीवनीकार के रूप में भी ख्याति। व्यंग्यकार और समालोचक भी। प्रेमचंद की जीवनी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित। नाट्य-लेखन में भी सक्रिय रहे। अंग्रेजी, बंगला और हिन्दी पर समान अधिकार।इनका जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। ये प्रगतिशील साहित्यकारों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

 

अमृत राय प्रसिद्ध साहित्यकार प्रेमचंद के पुत्र थे। अमृतराय जी का विवाह सुभद्रा कुमारी चौहान जी की बेटी सुधा चौहान से हुआ था। इनकी पत्नी सुधा ने सुभद्रा कुमारी चौहान तथा अपने पिता लक्षमण सिंह जी की संयुक्त जीवनी लिखी-' मिला तेज से तेज'

 

सम्पादक : प्रेमचंद की बिखरी रचनाओं के संपादन के अतिरिक्त आपने 'हंस' का संपादन अपने ही अंदाज़ में किया। यह 'हंस' और 'नई कहानी' के सम्पादक रहे हैं।

 

 

कृतियाँ : 'साहित्य में संयुक्त मोर्चा', 'सुबह का रंग', 'लाल धरती', 'नई समीक्षा', 'नागफनी का देश', 'हाथी के दांत', 'अग्निशिखा', 'फांसी के तख्ते से', 'कस्बे का एक दिन', 'गीली मिट्टी', 'कठघरे', 'जंगले', 'सहचिंतन', 'भटियाली', 'आधुनिक भावबोध की संज्ञा', 'बतरस', 'चतुरंग', 'सारंग' और 'धुआं'।

 

'प्रेमचन्द', 'कलम का सिपाही'( जीवनी), 'बीज' (उपन्यास), 'तिरंगा कफ़न' (कहानी-संग्रह)

 

अनुवाद : 'स्पार्टाकस' का अनुवाद 'आदिविद्रोही', 'हैमलेट' का, 'समरगाथा'।

 

पुरस्कार : अमृतराय जी 'कलम का सिपाही' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं।


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