माँ की बातें / Ma Ki Batein

· Ramakrishna Math, Nagpur
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‘‘जब जब इस प्रकार दानवों के प्रादुर्भाव से बाधाएँ उत्पन्न होंगी, तब तब मैं अवतीर्ण होकर शत्रुओं का विनाश करूँगी।’’ गीता में ‘कामना’ को ही मानव का सबसे बड़ा शत्रु बताया गया है। पिछली शताब्दी में पाश्चात्य सभ्यता के साथ संयोग होने से भारतवर्ष में ‘काम’ तथा ‘लोभ’ रूपी दैत्यों का प्राबल्य हो गया और इसके फलस्वरूप सनातन धार्मिक मूल्यों के आस्तत्व को ही संकट उत्पन्न हो गया था। ऐसा प्रतीत होने लगा था कि भारत से भारतीयता का लोप हो जायगा और यहाँ भी ‘काम’ तथा ‘कांचन’रूपी शुम्भ-निशुम्भ गणों के साथ ‘जड़वाद’रूपी महिषासुर का साम्राज्य स्थापित हो जायगा। असंख्य साधु-सज्जनों की कातर प्रार्थना के उत्तर में 22 दिसम्बर 1853 ई. के दिन माँ ने बंगाल के एक छोटे से गाँव जयरामवाटी में अवतरण किया। परवर्ती काल में भगवान श्रीरामकृष्ण की सहधर्मिणी माँ श्रीसारदादेवी के रूप में अपने सहज जीवन, निश्चल स्नेह तथा आध्यात्मिक शक्तियों के माध्यम से उन्होंने युगधर्म-संस्थापन का कार्य सम्पन्न किया। वैसे तो उनका ‘जीवन’ही उनके उपदेश हैं। तथापि अपने दैनंदिन जीवन में आध्यात्मिक शान्ति के लिए आनेवाले असंख्य पिपासुओं के साथ वे जो वार्तालाप करती थीं, उनमें अनेक अमूल्य तत्त्व निहित रहते थे। कुछ कुछ शिष्यों तथा भक्तों ने स्मरण रखने के लिये उन्हें अपनी दैनंदिनी में भी लिपिबद्ध कर लिए थे।

Ratings and reviews

4.8
5 reviews
abhishekramkrishna
May 11, 2020
marvellous
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Anil Das
February 9, 2021
AAA
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