Mootra Chikitsa Ke Prakritik Laabh: SHIVAMBU “Jeevan ka Amrit”

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  मूत्र चिकित्सा के प्राकृतिक लाभ एक "सर्वोत्तम स्वास्थ्य के राज़ पर शैक्ष‍िक भाग" है, जो सभी को स्वस्थ्य बने रहने को कहता है। सभी प्रकार की बीमारियों को नियंत्रित एवं ठीक करने के लिये इसमें प्राकृतिक उपचार की शक्त‍ि है। मूत्र चिकित्सा या "शिवाम्बु" उपचार की एक प्राचीन पद्धति है। मूत्र चिकित्सा का संदर्भ आयुर्वेद के लगभग प्रत्येक संस्करण में है। प्राचीन पुस्तकों और वेदों में, मूत्र को शिवाम्बु (स्व-मूत्र) से संदर्भ‍ित किया गया, जिसका मतलब श‍िव का पानी। उन्होंने शिवाम्बु को पवित्र द्रव्य कहा। उनके अनुसार, मूत्र दूध से भी ज्यादा पोषक होती है। गंभीर बीमारियों को ठीक करने के लिये मूत्र चिकित्सा एक प्रभावी एवं दवारहित तरीका है।  इसे जन्म बच्चों समेत हर कोई अपना सकता है। इसे जन्म से सेरेब्रल पाल्सी से ग्रसित बच्चे भी अपना सकते हैं।

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dnyandev dorge
१७ मार्च, २०२१
Sir Maine 1984 sal se aajtak SHIVABU ka seven roj chalu hai. Muze bahot fyada hua. 1986 me jab baya pair me sap ne kata tha to shivambu ke karan poison Nihal gaya. #### THANK YOU SIR. .v
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लेखकाविषयी

 

1990 में, लेखक ने मूत्र चिकित्सा को अपनाया, जब उनके एक हितैशी ने उन्हें इसकी सलाह ओस्टियोआर्थराइटिस के उपचार के लिये दी थी। उनकी पत्नी दौपति भुरानी भी मूत्र चिकित्सा अपनाने के बाद तंत्रिका संबंधी बीमारी से ठीक हो गईं।1993 में लेखक व उनकी पत्नी ने प्रथम अख‍िल भारतीय मूत्र चिकित्सा सममेलन में भाग लिया। उन्होंने 2006 में "मूत्र चिकित्सा के लाभ" पर एक लेख लिखा। मूत्र चिकित्सा के सर्वोत्तम लाभ प्राप्त करने की विधि एवं तकनीक के लिये लेखक ने उपयुक्त शोध किया। उसके बाद से वे समाजसेवा के रूप में बीमारियों से जूझ लोगों को मुफ्त सलाह दे रहे हैं।

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