Pahle Ram Phir Kaam: Kam Na Ho Toh Bhav Na Badale

· WOW PUBLISHINGS PVT LTD
4.5
42 reviews
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हर इंसान का जीवन जिस महान सूत्र पर आधारित होना चाहिए, वह है- पहले राम, फिर काम। इसी सूत्र को पकड़कर भरत ने अयोध्या का राज-काज सँभाला। लक्ष्मण हर पल श्रीराम की सेवा में रहेऔर हनुमान ने तो समुंदर पार करने से लेकर लंका दहन, संजीवनी पर्वत लाने जैसे अनेक दुर्लभ कार्य कर दिखाए।

तो आइए, हम भी अपने भीतर स्थित प्रेम,कर्म भावना और वासना की पहचान पाकर, जान लें-

* हमारे भीतर राम कौन है और रावण कौन है?
* हर काम से भी पहले करने योग्य वह प्रथम काम कौन सा है, जिसे करने के बाद आगे के सभी काम सफल होते हैं?
* अपनी कामनाओं के पीछे की भावनाएँ क्यों बदलना जरूरी है?
* प्रेम, काम और वासना क्या है, येे एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैेंं?
* अपनी और दूसरों की चेतना का स्तर कैसे बढ़ाएँ?
* चरित्र की नींव मजबूत कैसे करें?
* भक्ति में आनेवाली रूकावटों को कैसे हटाएँ ?
* क्रोध पर विजय क्यों प्राप्त करें?
* संवादों की शक्ति का सही इस्तेमाल कैसे करेेंं?

यह पुस्तक रामकथा की सभी बारीकियों, उसमें छिपी अनमोल सीखों को प्रकाशित करने में पूरी तरह सक्षम है। इसे पढ़कर आप निश्‍चय ही कह उठेंगे- ‘इस बात का यह अर्थ है, ऐसा तो मैंने कभी सोचा ही न था..!’

Ratings and reviews

4.5
42 reviews
Pavnesh Ramlochan
November 30, 2019
Nice. Everyone should read this book
3 people found this review helpful
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YUVRAJSINH PUVAR
December 19, 2018
super book. I can't buy this because I don't have enough money. but I read the sample book.
13 people found this review helpful
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Aman Sharma
January 5, 2023
Very Important Point This Book
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About the author



सरश्री की आध्यात्मिक खोज का सफर उनके बचपन से प्रारंभ हो गया था। इस खोज के दौरान उन्होंने अनेक प्रकार की पुस्तकों का अध्ययन किया। इसके साथ ही अपने आध्यात्मिक अनुसंधान के दौरान अनेक ध्यान पद्धतियों का अभ्यास किया। उनकी इसी खोज ने उन्हें कई वैचारिक और शैक्षणिक संस्थानों की ओर बढ़ाया। इसके बावजूद भी वे अंतिम सत्य से दूर रहे।

उन्होंने अपने तत्कालीन अध्यापन कार्य को भी विराम लगाया ताकि वे अपना अधिक से अधिक समय सत्य की खोज में लगा सकें। जीवन का रहस्य समझने के लिए उन्होंने एक लंबी अवधि तक मनन करते हुए अपनी खोज जारी रखी। जिसके अंत में उन्हें आत्मबोध प्राप्त हुआ। आत्मसाक्षात्कार के बाद उन्होंने जाना कि अध्यात्म का हर मार्ग जिस कड़ी से जुड़ा है वह है - समझ (अंडरस्टैण्डिंग)।

सरश्री कहते हैं कि ‘सत्य के सभी मार्गों की शुरुआत अलग-अलग प्रकार से होती है लेकिन सभी के अंत में एक ही समझ प्राप्त होती है। ‘समझ’ ही सब कुछ है और यह ‘समझ’ अपने आपमें पूर्ण है। आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति के लिए इस ‘समझ’ का श्रवण ही पर्याप्त है।’

सरश्री ने ढाई हज़ार से अधिक प्रवचन दिए हैं और सौ से अधिक पुस्तकों की रचना की हैं। ये पुस्तकें दस से अधिक भाषाओं में अनुवादित की जा चुकी हैं और प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई हैं, जैसे पेंगुइन बुक्स, हे हाऊस पब्लिशर्स, जैको बुक्स, हिंद पॉकेट बुक्स, मंजुल पब्लिशिंग हाऊस, प्रभात प्रकाशन, राजपाल अ‍ॅण्ड सन्स इत्यादि।

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